
रियायतों की राह तकता पर्यटन उद्योग
कोरोना महामारी की वजह से यूं तो पूरी दुनिया के ही कारोबारी माहौल पर बुरा असर पड़ा है लेकिन पर्यटन जैसे कुछ कारोबार तो लगभग बर्बादी की कगार पर पहुँच चुके हैं। नाउम्मीदी का यह दौर क्या लम्बे समय तक जारी रहेगा या फिर आशा की किरणे इस क्षेत्र में एक बार फिर नयी ऊर्जा का संचार करेंगी।
मनीष कुमार, निदेशक, ई-ट्रुपर्स ने इस मुद्दे पर हमारे साथ अपने विचार साझा किये –
प्रश्न १ : कोरोना एक सुनामी की तरह आया और पल भर में ही पूरे पर्यटन क्षेत्र की संभावनाओं पर पानी फिर गया। क्या आपको लगता कि यह एक दीर्घकालिक समस्या है ?
उत्तर १ : कोरोना निश्चित तौर पर एक गंभीर चिंता का विषय है। यदि समय पर इस समस्या का हल नहीं किया गया तो मौजूदा संकट से करीं ४ करोड़ नौकरियां खतरे में पड़ जाएंगी। चूंकि कोविड-19 महामारी के कारण लोग घरों में बंद हैं, सभी तरह के कारोबार और लोगों के घूमने फिरने पर बुरी तरह से असर पड़ रहा है जिससे उद्योग की नकद आमदनी पूरी तरह से ठप पड़ गई है।
प्रश्न २ : क्या उम्मीद की कोई किरण है?
उत्तर २ : कोरोना निःसंदेह एक भयानक समस्या है लेकिन अब हम इसके साथ ही जीना सीख जाएंगे। वायरस कहीं जाने वाला नहीं है इसलिए कोविड विरोधी जीवनशैली ही इसका समाधान है।
यह तो तय है कि भविष्य का आतिथ्य क्षेत्र पहले से पूरी तरह बदल जाएगा। हमें इसके लिए कमर कस लेनी चाहिए। सभी के लिए उपयोग होने वाले क्षेत्र,जैसे लिफ्ट, रेस्तरां, बैंकेट तथा सर्विस क्षेत्र को सोशल डिस्टेंसिंग के हिसाब से बदलाव किये जाने चाहियें । होटलों में शरीर के अधिक संपर्क में आने वाले क्षेत्रों की सफाई पर ज्यादा ध्यान देने की ज़रुरत है। नियमित अंतराल पर दस्ताने बदले जाने चाहियें और डोरमैन एव पोर्टर पर विशेष रूप से ध्यान देने की ज़रुरत है। हालांकि श्रमिकों की कमी अभी कुछ समय तक बनी रहेगी और हमें वैकल्पिक उपायों को ढूंढते रहना होगा। यह उद्योग का बहुत अहम हिस्सा है। हम काम करने के लिए बने इस जटिल वातावरण के प्रति सचेत हैं और हमारे पास सुरक्षा तथा स्वच्छता के लिए नए एस ओ पी उपलब्ध हैं।
प्रश्न ३ : सरकार से किस तरह की उम्मीद की राह देख रहे हैं ?
उत्तर ३: कोरोना से होने वाले नुकसान की भरपाई के लिए हमने सरकार से कई रियायतों की मांग की है। पर्यटन, यात्रा और आतिथ्य कंपनियों की ओर से केंद्र, राज्य और निगम प्रशासन को किए जाने वाले सभी करों का भुगतान कुछ समय के लिए टाल दिया जाना चाहिए और आने वाले कुछ सालों तक किसी तरह का दंडात्मक ब्याज नहीं वसूला जाना चाहिए।
रिजर्व बैंक या वित्त मंत्रालय या पर्यटन मंत्रालय की ओर से एक समर्थन फंड की स्थापना करनी चाहिए, जिससे कि इस उद्योग से जुड़े लोगों को वेतन देने वप्रतिष्ठान के स्थायी खर्च चलाने में मदद मिल सके।
प्रश्न ४ : वित्तीय नुकसान के अलावा और किस प्रकार की दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है ?
उत्तर ४ : हम ग्राहकों को बेहतर सेवाएं देने की कवायद कर रहे हैं। हम एयरलाइंस व होटल साझेदारों के साथ मिलकर काम कर रहे हैं, जिससे तिथि में बदलाव, यात्रा रद्द करने और छूट से जुड़े मसलों का समाधान किया जा सके। सोशल मीडिया तमाम तरह की शिकायतों का अम्बार लगा है वहीं ट्रैवल एजेंसियों व एयरलाइंस को इस तरह की शिकायतों की बाढ़ से जूझना पड़ रहा है। शिकायतें बड़ी संख्या में आ रही हैं, जिसकी वजह से उन्हें हर ग्राहक तक पहुंचने मेंदिक्कत हो रही है। तमाम ग्राहकों को निरस्त करने व रिफंड की प्रक्रिया में तकनीकी समस्याएं आ रही हैं।